चंडीगढ़, 10 जून। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा है कि कुछ वर्ष पहले तक हरियाणा में विकास क्षेत्रवाद के आधार पर ही विकास परियोजनाएं शुरू की जाती थी। जिसे पिछले सात वर्षों के दौरान समाप्त करके ‘हरियाणा एक हरियाणवी एक’ के आधार पर सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों का समान विकास सुनिश्चित किया है।
मनोहर लाल बृहस्पतिवार को चंडीगढ़ से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में कहा कि ‘पिछले सात वर्षों से राज्य सरकार हरियाणा को तेजी से विकास पथ पर आगे बढ़ाने की दिशा में समर्पित रूप से कार्य कर रही है। एक ही दिन में इतनी बड़ी संख्या में विभिन्न परियोजनाओं के किए गए उद्घाटनों एवं शिलान्यासों को भी हरियाणा के इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने 1162 करोड़ रुपये से अधिक की कई परियोजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा क्रियान्वित की गई कई योजनाओं के मामले में, हरियाणा अन्य राज्यों के लिए रोल मॉडल बन गया है। मनोहर लाल ने कहा विशेष रूप से हरियाणा सरकार द्वारा राज्य के गांवों को ‘लाल डोरा’ से मुक्त करने के लिए शुरू किये गये अभियान को बाद में केंद्र सरकार द्वारा इस योजना को प्रधान मंत्री स्वामित्व योजना के रूप में अपनाया गया।
मनोहर लाल ने कहा कि ‘राज्य सरकार द्वारा पानी के उचित प्रबंधन के लिए एक द्विवार्षिक योजना भी शुरू की गई है।’ मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के लोगों द्वारा उठाई गई हर एक शिकायत को दूर करने के लिए ‘विवादों से समाधान’ नामक अपनी तरह की एक पहली योजना शुरू की गई, जिसका उद्देश्य प्रत्येक विभाग के लंबे समय से लंबित विवादों को हल करना है।
उन्होंने कहा कि पूरे हरियाणा में मण्डी व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए राज्य सरकार द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। मनोहर लाल ने कहा कि ‘गन्नौर में अंतर्राष्ट्रीय बागवानी मंडी की स्थापना पर लगभग 7000 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जा रही है।’ मुख्यमंत्री ने बताया कि 21 मार्च, 2021 को 1411 करोड़ रुपये की परियोजनाएं जनता को समर्पित की गई थी। इससे पहले वर्ष 2019 में लगभग 4,000 करोड़ रुपये, अक्तूबर 2020 में 1850 करोड़ रुपये की 306 परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया।
इस अवसर पर मुख्य सचिव विजय वर्धन, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव डी.एस.ढेसी, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन और चकबंदी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं वित्तायुक्त संजीव कौशल, बिजली विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पी.के. दास, चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आलोक निगम समेत कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।