चंडीगढ़, 26 मई। हरियाणा सरकार द्वारा विधानसभा के पिछले सत्र में पास किया गया संपत्ति क्षति विधेयक अब कानून का रूप लेकर प्रदेश में लागू हो चुका है। हरियाणा सरकार ने बुधवार को इस बारे में अधिसूचना जारी कर दी है। सरकार ने नए कानून का ड्राफ्ट प्रदेश के सभी जिला उपायुक्तों व मंडल आयुक्तों को भेज दिया है। हरियाणा में यह कानून संपत्ति क्षति वसूली विधेयक-2021 कहलाएगा।
अब हरियाणा में किसी भी आंदोलन के दौरान होने वाली सरकारी व निजी संपत्ति के नुकसान की भरपाई आंदोलनकारियों से ही करवाई जाएगी। हरियाणा में संपत्ति क्षति वसूली कानून लागू करने की कवायद मनोहर सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान उसी समय शुरू हो गई थी जब प्रदेश में जाट आरक्षण आंदोलन तथा डेरा सच्चा सौदा की हिंसा हुई थी। पिछले साल उत्तर प्रदेश में यह कानून लागू होने के बाद प्रदेश सरकार ने इस दिशा में कार्रवाई को तेज कर दिया था।
जिसके चलते विधानसभा के बजट सत्र के दौरान 18 मार्च को हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने यह विधेयक पेश किया था। जिसे कांग्रेस विरोध और हंगाम के बीच पारित कर दिया गया। राज्य सरकार ने इस विधेयक को पारित करने के बाद मंजूरी के लिए राज्यपाल को भेजा था। राज्यपाल की स्वीकृति के बाद सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है।
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आंदोलन करना प्रजाताङ्क्षत्रक व्यवस्था का हिस्सा है लेकिन इसकी आड़ में असमाजिक तत्व लोगों की व सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाएं, बसों में आग लगाएं यह कोई कानून इजातत नहीं देता है। हरियाणा में लंबे समय से इस तरह के कानून की जरूरत महसूस की जा रही थी। अब इसे लागू कर दिया गया है।
अनिल विज, गृहमंत्री हरियाणा।
कैसे काम करेगा नया कानून
--हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की राय पर ट्रिब्यूनल चेयरमैन की नियुक्ति होगी। इसमें सरकार की तरफ से सदस्य भी लगाए जाएंगे। डीसी नुकसान के सभी दावों को ट्रिब्यूनल को ही भेजेंगे। ट्रिब्यूनल चार्टेड अकाउटेंट की मदद लेकर नुकसान का आकलन करेगा।
--हजार रुपये से लेकर दस करोड़ रुपये तक की सरकारी, निजी संपत्ति के नुकसान का दावा किया जा सकता है।
--आंदोलन के दौरान शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैनात अर्धसैनिक बलों, सेना पर खर्च राशि का दावा भी किया जा सकेगा।
--राज्य पुलिस पर खर्च राशि की वसूली उपद्रवियों से नहीं होगी।
--नुकसान की शिकायत पीडि़त अपने क्षेत्र के थाना प्रभारी को करेंगे। वे एफआईआर दर्ज कर पूरी जानकारी डीसी को देंगे। डीसी पीडि़तों से दावे के लिए आवेदन मांगेंगे। 21 दिन के भीतर आवेदन करना होगा।
--सरकारी संपत्ति को हुए नुकसान का दावा विभागों के अध्यक्ष करेंगे। एसडीएम या उससे ऊपर के रैंक का अधिकारी ही दावा कर सकेगा।
--नुकसान का आकलन होने के बाद अगर उपद्रवी हर्जाना नहीं भरते हैं या ट्रिब्यूनल के समक्ष पेश नहीं होते हैं तो एक तरफा कार्रवाई की जा सकेगी। नोटिस का कोई जवाब न देने पर उपद्रवी व अन्य की जमीन कुर्की की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।