हिसार, 23 मार्च । पश्चिमी विक्षोभ के चलते मौसम में हुए परिवर्तन ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है। प्रदेश के लगभग हर जिले में कहीं हल्की से मध्यम बरसात हुई है, जिससे पकाई पर आई सरसों व गेहूं की फसल को नुकसान का अंदेशा है। इसके अलावा कई स्थानों पर ओलावृष्टि की भी सूचना मिल रही है। हालांकि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिकों ने तीन दिन पहले ही मौसम परिवर्तन एवं हल्की से मध्यम बूंदाबांदी के संकेत दे दिए थे।
धरतीपुत्रों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच रहा बदला मौसम
राष्ट्रीय मौसम विज्ञान विभाग की माने तो प्रदेश के हर जिले में हल्की से मध्यम बरसात हुई है। इस समय किसानों की सरसों व गेहूं की फसल पकाई पर है। अधिकतर क्षेत्रों में सरसों की फसल की तो कटाई कर ली गई है या फिर कटाई होने वाली है। मौसम व कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार ऐसे में यदि कहीं पर सरसों की कटाई नहीं हुई है तो उस खड़ी फसल में नुकसान का अंदेशा ज्यादा है। हरियाणा कृषि विवि. के मौसम वैज्ञानिकों ने तीन दिन पूर्व पश्चिमी विक्षोभ का हवाला देते हुए किसानों को आगाह किया था कि यदि किसानों ने सरसों की फसल की कटाई कर ली है तो वे कटी हुई फसल के बंडल अच्छी तरह बांधे क्योंकि कहीं हल्की तो कहीं मध्यम बरसात के साथ—साथ तेज हवाएं चलने की भी संभावना है। इसके साथ—साथ मौसम वैज्ञानिकों ने बदलते मौसम के दृष्टिगत किसानों से गेहूं की फसल में सिंचाई रोकने का आग्रह किया था ताकि क्योंकि सिंचाई की गई गेहूं गिरने का खतरा रहता है।
बरसात मामूली, अंधड़ ज्यादाहरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार प्रदेश के लगभग हर जिले में थोड़ी—बहुत बरसात हुई है। उन्होंने केन्द्रीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि हिसार में 5 एमएस (मिलीमीटर) बरसात हुई है। इसके अलावा भिवानी में 1.1 एमएम, सिरसा में 0.2 एमएम व अंबाला में 1.0 एमएम बरसात हुई है। इसके अलावा हर जिले में बरसात हुई है, जिससे प्रदेश का तापमान भी काफी नीचे आ गया है।
इस मौसम में बरसात व अंधड़ का नुकसान स्वाभाविक : फोगाटकृषि उप निदेशक डा. विनोद कुमार फोगाट का कहना है कि इस समय बदलता मौसम किसानों के अनुकूल नहीं है। सरसों की फसल लगभग कट चुकी है और जो खड़ी फसल रह गई है, उसमें इस बरसात व अंधड़ का नुकसान होगा। इसके अलावा सिंचाई की हुई गेहूं भी गिरने का अंदेशा है। फसलें पकाई पर होने के समय यदि ऐसा मौसम होता है और फसल गिर जाती है तो उसकी उत्पादन क्षमता निश्चय ही प्रभावित होती है।