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कोरोना काल पर हाईकोर्ट का फैसला, वीडियो कांफ्रैंसिंग से पंजीकृत होंगी शादियां

March 19, 2021 07:20 PM

चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में कोविड़ के चलते वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से विवाह पंजीकरण करने की अनुमति दी है। हाई कोर्ट ने यह आदेश गुरूग्राम निवासी दंपति अमी रंजन और उनकी पत्नी मिशा वर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया। बेंच को बताया गया कि अमी रंजन एक आईटी प्रोफेशनल है और वह लंदन में रहता है जबकि उसकी पत्नी मिशा वर्मा डाक्टर है और वह  संयुक्त राज्य अमेरिका में कार्यरत है। दोनो ने हिंदू रीति रिवाज के तहत गुरूग्राम में सात दिसंबर 2019 को विवाह किया था। शादी के कुछ सप्ताह के बाद वह लंदन और उसकी पत्नी अमेरिका चले गए। जब उसने अपनी पत्नी के पास लंदन से अमेरिका जाने के लिए वीजा मांगा तो उसे मेरिज सर्टिफिकेट की आवश्यकता पड़ी। इसके लिए दोनो दोनो ने  पत्र  से गुरुग्राम के डिप्टी कमिश्नर-कम-मैरिज ऑफिसर से उनके विवाह पंजीकरण करने का आग्रह किया,  दोनो ने कहा कि लाक डाउन के चलते वो विदेश से  वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से डिप्टी कमिश्नर-कम-मैरिज ऑफिसर के सामने पेश हो सकते है। लेकिन डिप्टी कमिश्नर-कम-मैरिज ऑफिसर ने विवाह पंजीकरण करने से इंकार करते हुए कहा कि दोनों को उसके सामने पेश होना होगा। विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत विवाह का पंजीकरण दोनो के पेश होने के बगैर नहीं हो सकता। डीसी के इसी आदेश को अमी रंजन ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट की एकल बेंच ने भी डीसी के आदेश को सही ठहराया था। एकल बेंच ने अपने आदेश में कहा था कि विवाह प्रमाणपत्र बुक पर हस्ताक्षर करने के लिए मैरिज ऑफिसर के सामने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने से छूट नहीं दी जा सकती है। इसके बाद दंपति ने डिविजन बेंच में चुनौती दी थी । जस्टिस रितु बहरी और जस्टिस अर्चना पुरी की खंडपीठ ने अपील पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस मामले में दंपति ने मैरिज ऑफिसर के सामने पेश होने से छूट नहीं मांगी है, केवल वीडियोकांफ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने का आग्रह किया है।
बेंच ने कहा की आज तकनीक तौर पर सभी दस्तावेज डिजिटल रूप मौजूद है, ऐसे में याची के हस्ताक्षर डिजिटल रूप से लिए जा सकते है। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम इन सभी को कानूनन तौर पर मान्यता भी देता है। इस मामले में विवाह पंजीकरण के लिए वीडियोकांफ्रेंसिंग से पेश होना विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के खिलाफ नहीं है। हाईकोर्ट ने गुरुग्राम के डिप्टी कमिश्नर-कम-मैरिज ऑफिसर के आदेश को रद करते हुए आदेश दिया कि वो याची पति-पत्नी को वीडियोकांफ्रेंसिंग के माध्यम से पेशी को स्वीकार करे।   

 
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