चंडीगढ़, 23 जनवरी। हरियाणा की गठबंधन सरकार ने भाजपा व जजपा के नाराज मंत्रियों को मनाकर वापस मुख्य धारा में लाने की तैयारी कर ली है। मुख्यमंत्री द्वारा निर्दलीय विधायकों से मुलाकात और भाजपा प्रभारी विनोद तावड़े द्वारा विधायकों के साथ व्यक्तिगत मुलाकात के बाद वरिष्ठ मंत्रियों को विधायकों से तालमेल की जिम्मेदारी सौंपी है। विधायक अकसर अफसरशाही द्वारा सुनवाई न किए जाने की शिकायत करते रहे हैं। यह मुद्दा विधानसभा की विशेषाधिकार कमेटी के समक्ष भी आ चुका है।
विनोद तावड़े के चंडीगढ़ प्रवास के दौरान कई विधायकों ने अफसरशाही के सरकार पर हावी होने तथा सरकार द्वारा उनकी सुनवाई नहीं किए जाने की शिकायत की थी। इससे पहले सांसद भी तावड़े के समक्ष अफसरशाही द्वारा अनदेखी किए जाने का रोना रो चुके हैं। फिलहाल भाजपा-जेजेपी व निर्दलीयों सहित कुल 55 विधायक सरकार के साथ हैं। इनमें से सीएम, स्पीकर व डिप्टी स्पीकर के अलावा 12 विधायकों को मंत्री बनाया हुआ है। इनमें डिप्टी सीएम दुष्यंत सिंह चौटाला भी शामिल हैं।
पांच मंत्रियों की कमेटी करेगा विधायकों से समन्वय
सीएम मनोहर लाल खट्टर ने स्थिति को भांपते हुए खुद ही वरिष्ठ मंत्रियों की जिम्मेदारी तय की है। मनोहर सरकार के पहले कार्यक्रम में 16 विधायकों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला था। हाईकमान के हस्तक्षेप के बाद वह कुछ कर नहीं पाए और करीब दो माह तक मुहिम चलाकर शांत हो गए। उस समय भी विधायकों के पीछे से सांसद पूरे मामले की लॉबिंग कर रहे थे।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार जिन पांच वरिष्ठ मंत्रियों की जिम्मेदारी तय की है, उनमें डिप्टी सीएम दुष्यंत सिंह चौटाला, गृह व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज, शिक्षा व संसदीय कार्यमंत्री कंवरपाल गुर्जर व दो अन्य मंत्री शामिल हैं। इन मंत्रियों को कहा गया है कि वह पांच से सात विधायकों को संभालें। विधायकों के हलकों से जुड़े कार्यों के अलावा उनकी पसंद व नापसंद के हिसाब से उनके हलकों व जिलों में अधिकारियों व कर्मचारियों के तबादलों को तवज्जो देने को कहा गया है।
हालांकि सरकार ने जिलों के डीसी-एसपी सहित तमाम अधिकारियों को लिखित में भी हिदायतें दी हुई हैं कि वे जनप्रतिनिधियों की सुनवाई करें, लेकिन स्थिति में फिर भी बदलाव नहीं आ रहा। जिसे देखते हुए मुख्यमंत्री ने विधायकों को संतुष्ट करने के लिए यह नया फार्मूला निकाला है।