-40 लोगों का नहीं लिया जा सका रक्त
-सेक्टर-56 के डब्ल्यू प्रतीक्षा अस्पताल में लगाया गया शिविर
-रक्त दान करने को जोश में रही साध संगत
Sanjay Kumar
गुरुग्राम। आम तौर पर ऐसा बहुत ही कम देखने को मिलता है कि रक्त दान करने को दाताओं में होड़ लगी है। हर कोई एक-दूसरे से पहले रक्त देने को आतुर हो। ऐसा ही नजारा रविवार को यहां सेक्टर-56 सुशांत लोक फेज-2 स्थित डब्ल्यू प्रतीक्षा अस्पताल परिसर में नजर आया। रक्तदान शिविर में कुल 191 भाई-बहन रक्तदान को पहुंचे, जिनमें से 151 का रक्त लिया जा सका। यानी 151 यूनिट रक्त यहां दान हुआ।
यहां पर डेरा सच्चा सौदा की गुरुग्राम की संगत (शाह सतनाम जी ग्रीन एस. वेलफेयर फोर्स विंग) की ओर से पूज्य गुरू जी संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इंसा के जन्ममाह की खुशी में रक्तदान शिविर लगाया गया। डब्ल्यू प्रतीक्षा अस्पताल परिसर में बने लायंस ब्लड बैंक गुरुग्राम की ओर से इस शिविर में रक्त लिया गया। शिविर में कोरोना से बचाव को सभी ने सोशल डिस्टेंस रखा और सभी को सेनिटाइज कराकर ही रक्तदान के लिए बस में प्रवेश दिया गया। सुबह 9 बजे शिविर के शुभारंभ का समय था, लेकिन संगत 8 बजे से ही रक्तदान के लिए आनी शुरू हो गई। इस शिविर का शुभारंभ लायंस ब्लड बैंक गुरुग्राम की हेड स्वाति गोयल व लायंस क्लब गुडगांव सिटी के सदस्य विकास ढाका ने किया। इस मौके पर डेरा के सेवादारों में श्याम सुंदर इंसा, राजेंद्र सिरोही इंसा, केके यादव इंसा, विनोद कुमार इंसा, अजय इंसा, कृष्ण इंसा, हितेश इंसा, रामअवतार इंसा, मुकेश इंसा, महेंद्र इंसा, 45 मेंबर राजबाला इंसा, अनीता, मालती, सुजान बहन बाला, सरोज यादव इंसा, संजय इंसा समेत काफी संख्या में सेवादार शामिल हुए।
रक्त दान करने के लिए साध-संगत में जोश देखकर खुद मुख्य अतिथि स्वाति गोयल ने कहा कि ऐसा जोश उन्होंने पहले कभी नहीं देखा। चाहे महिलाएं हों या पुरुष, हर कोई पूरे नियमों को यहां फॉलो करके रक्तदान के लिए अपनी बारी का इंतजार करता दिखा। स्वाति गोयल ने कहा कि रक्तदान से हम किसी के जीवन को बचाने का काम करते हैं। सिर्फ इंसान का रक्त ही ऐसा है, जो कि इंसानों का जीवन बचा सकता है। बाकी कोई रक्त नहीं। इसलिए हमें अधिक से अधिक रक्तदान करना चाहिए। उन्होंने डेरा सच्चा सौदा के सेवादारों की मानवता भलाई के कार्यों की यहां सराहना की। खास बात यह रही कि मुख्य अतिथि स्वाति गोयल व विकास ढाका ने यहां साध-संगत का बुके देकर स्वागत किया। स्वागत की परम्परा को ही उन्होंने यहां बदलकर एक नयी परम्परा को जन्म देते हुए यह संदेश दिया कि जो लोग अपना खून देते हैं, वे स्वागत के हकदार हैं। उनकी ओर से ऐसा किए जाने पर संगत ने नारा लगाकर उनका धन्यवाद किया।