चंडीगढ़। हरियाणा सरकार द्वारा निजी क्षेत्र में युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के मामले में पेच फंस गया है। सरकार का यह वादा धरातल पर लागू होने में अभी समय लग सकता है। हरियाणा कैबिनेट द्वारा 75 प्रतिशत आरक्षण के आर्डिनेंस पर मुहर के बाद इसे मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा गया था।
राज्यपाल ने कई दिनों तक इसे अपने पास रखने के बाद सहमति व संस्तुति के लिए राष्ट्रपति के पास भेज दिया है। जिसके चलते अब इस बात की प्रबल संभावना बन गई है कि हरियाणा के युवाओं को निजी क्षेत्र की नौकरियों में आरक्षण की सुविधा का बिल अगले सप्ताह शुरू होने जा रहे विधानसभा सत्र में पास नहीं होगा।
जेजेपी ने अपने चुनावी घोषणा-पत्र में प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में स्थानीय युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा किया था। वहीं भाजपा ने अपने ‘संकल्प-पत्र’ में नब्बे प्रतिशत तक आरक्षण स्थानीय युवाओं को देने वाली कंपनियों को प्रोत्साहन देने का ऐलान किया था। यानी दोनों ही पार्टियां इसके पक्ष में थी। इसी के चलते लम्बी जद्दोजहद और कई दौर की बैठकों के बाद आर्डिनेंस को तैयार किया गया।
राज्यपाल ने सहमति के लिए राष्ट्रपति को भेजा अध्यादेश
पड़ोसी राज्यों की हिस्सेदारी कम होना बन रही रोड़ा
महामहिम के आगे दुष्यंत की दलील भी नहीं आई काम
एलआर के अलावा एडवोकेट जनरल द्वारा लगाई गई आपत्तियों को भी श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने दूर किया था। जेजेपी नेता व डिप्टी सीएम दुष्यंत सिंह चौटाला के लिए यह बड़ा राजनीति मुद्दा है। प्रदेश के युवाओं को किए इस वादे को पूरा करने के लिए वे काफी गंभीर हैं। हरियाणा सरकार ने मंत्रिमंडल की बैठक में प्रस्ताव पारित करके आर्डिनेंस राज्यपाल सत्यदेव नारायाण आर्य को भेज दिया था। उनके पास यह आर्डिनेंस लंबित रहा।
पिछले दिनों डिप्टी सीएम दुष्यंत सिंह चौटाला इस आर्डिनेंस को लेकर ही राज्यपाल से मिले भी थे। राजभवन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि राज्यपाल ने आर्डिनेंस पर राष्ट्रपति की कंसेंट लेने के लिए राष्ट्रपति भवन भेज दिया है।
सूत्रों का कहना है कि हरियाणा मूल के युवाओं के लिए 75 प्रतिशत नौकरियां आरक्षित करने वाले इस आर्डिनेंस से दूसरे राज्य के युवाओं के लिए हरियाणा के प्राइवेट सेक्टर में रोजगार कम करने के अवसर कम होंगे। कई जिलों की इंडस्ट्री में यूपी, बिहार, राजस्थान सहित दूसरे कई राज्यों के युवा नौकरी करते हैं। बहरहाल, राज्यपाल ने केस को राष्ट्रपति के पास भेज दिया है। वहां से कंसेंट मिलने के बाद ही सरकार आगे बढ़ेगी।