मॉन्ट्रियल। भारत और चीन के बीच हुए संघर्ष के बाद कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की। इस दौरान उन्होंने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की स्थिति पर चर्चा की। ट्रूडो ने पीएम मोदी को फोन किया था और वह भारतीय प्रधानमंत्री के साथ चीनी सैनिकों के साथ टकराव पर चर्चा करने वाले जी-7 राष्ट्र के पहले नेता हैं। कनाडा के पीएमओ से जारी किए गए एक बयान में कहा गया है कि "प्रधानमंत्रियों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा की स्थिति के साथ ही क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की।"
2018 में वैंकूवर में एक वरिष्ठ हुवेई (Huawei) कार्यकारी को हिरासत में लेने के बाद से कनाडा भी चीनी आक्रमकता का सामना कर रहा है। इसके कारण बीजिंग द्वारा अनौपचारिक आर्थिक रुकावटों और एक पूर्व राजनयिक सहित दो कनाडाई लोगों की मनमानी गिरफ्तारी की गई, जिसमें राजनयिक को एक चीनी अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी।
इस बीच, भारतीय बयान में एलएसी के साथ स्थिति से संबंधित बातचीत के किसी खंड का उल्लेख नहीं किया। ट्रूडो का फोन ऐसे समय में आया है, जब वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में गैर-स्थायी सीट के लिए कनाडा की उम्मीदवारी के समर्थन के लिए विभिन्न देशों के नेताओं से बात कर रहे हैं, जिसके चुनाव बुधवार को होने वाले थे। उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान सहित मैक्सिको, स्पेन, इथियोपिया, अंगोला आदि के नेताओं से भी संपर्क किया।
कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर की बात
भारत का निर्वाचित होना लगभग तय है। ट्रूडो द्वारा भारत के समर्थन को सुरक्षित करने के लिए ट्रूडो द्वारा किया गया यह एक अंतिम प्रयास हो सकता है। दरअसल, नई दिल्ली आयरलैंड और नॉर्वे के साथ पारस्परिक व्यवस्था के तहत पहले ही सर्मथन की बात कर चुकी है और तब कनाडा इस चुनाव की दौड़ में शामिल भी नहीं हुआ था।
ट्रूडो की बातचीत के दौरान covid-19 महामारी पर भी चर्चा हुई क्योंकि ट्रूडो ने "महामारी से लड़ने और सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए बहुपक्षीय संस्थानों सहित लगातार अंतर्राष्ट्रीय समन्वय की जरूरत पर जोर दिया है। भारतीय बयान में कहा गया है कि नेता इस बात पर सहमत थे कि दोनों राष्ट्र कोरोना के खिलाफ जंग में अच्छे के लिए एक ताकत हो सकते हैं।
पीएम मोदी ने कनाडा में फंसे भारतीयों को वापस भेजने की सुविधा देने के लिए कनाडा द्वारा प्रदान की गई सहायता की "गर्मजोशी से सराहना" की। वहीं, ट्रूडो ने भी भारत से कनाडाई नागरिकों को स्वदेश भेजने की प्रक्रिया में नई दिल्ली के सहयोग वापस लाने की प्रक्रिया में मदद की।