चंडीगढ। शहरों में मकान मालिक और किराएदारों के मध्य बढते विवादों के समाधान में नाकाफी हो रहे 45 साल पुराने कानून को हरियाणा सरकार ने बदलने की पूरी तैयारी कर ली है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हरियाणा शहरी किराएदारी अधिनियम 2018 को मंजूरी प्रदान कर दी है, जिसमें मकान मालिक और किराएदार के अधिकार और जिम्मेदारियां तय किए गए हैं। यही नहीं विवाद होने की स्थिति में किराया अदालत, ट्रिब्यूनल बनाया जाएगा, जहां सभी समाधान सुलभ होंगे।
आज यहां जानकारी देते हुए शहरी स्थानीय निकाय मंत्री कविता जैन ने बताया कि पालिका क्षेत्र में मकान मालिक और किराएदार के विषयों के समाधान के लिए वर्ष 1973 में एक्ट बनाया गया था। शहरों में बढती आबादी और आवास सुविधा की कमी के चलते लोगों का रूझान किराए पर रहने में बढने लगा। लेकिन समय के अनुरूप किराएदार एक्ट में संशोधन नहीं होने और लंबे समय से किराए पर रह रहे किराएदारों और उनके मकान मालिकों के बीच विवाद बढने लगे। इन विवादों से उपजे तनाव को कम करने के लिए वर्तमान सरकार द्वारा हरियाणा शहरी किराएदारी अधिनियम 2018 तैयार किया गया है, जिसे मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मंजूरी प्रदान कर दी है।
मंत्री कविता जैन ने बताया कि मकान मालिक-किराएदार के मध्य विवाद की सबसे बडी जड उनके अधिकार और जिम्मेदारियां तय नहीं होना थे। इस पर शहरी स्थानीय निकाय विभाग के अधिकारियों ने योजनाबद्ध तरीके से मकान मालिक, किराएदार, संपत्ति प्रबंधक के मध्य के होने वाले विवादों का अध्ययन करते हुए संतुलन स्थापित करने का रास्ता तैयार किया है। उन्होंने बताया कि नए कानून में उनके अधिकार एवं जिम्मेदारी तय की गई हैं तथा भविष्य में उनके बीच होने वाले विवाद के निपटारे के लिए किराया अदालत, ट्रिब्यूनल स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। इससे विवाद की स्थिति में तेजी से न्याय दिलाना सुनिश्चित होगा और अदालतों में मामलों में भी कमी लाई जा सकेगी।